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अमृत महोत्सव के अंतर्गत् दांडी मार्च पर आधारित संगोष्ठी

12 मार्च, 2021,

म.प्र. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रायोजित ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ (दिनांक 12.03.2021 से 05.04.2021) कार्यक्रम शा. कमला राजा कन्या महाविद्यालय में दूरदर्शन पर प्रसारित होते हुए देखा गया। इस कार्यक्रम हेतु केन्द्र शासन ने 239 सदस्यों की वर्चुअल बैठक दिनांक 08.03.2021 को संपन्न हुई। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गुजरात में ‘बापू’ के साबरमती आश्रम में जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गाॅधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री जी के साथ गुजरात के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी, गुजरात के मुख्यमंत्री माननीय श्री विजय रूपाणी जी, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री माननीय श्री प्रहलाद पटेल जी, साबरमती आश्रम के आजीवन समर्पित सेवी श्री मोदीजी आदि उपस्थित थे।
इसके पश्चात माननीय प्रधानमंत्री जी ने कार्यक्रम स्थल, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई की समाधि ‘अभय घाट’ पहुॅचकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कलाकारों द्वारा सुन्दर प्रस्तुति के बाद केन्द्रीय सांस्कृतिक मंत्री श्री प्रहलाद पटेलजी, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी जी के सम्बोधन के बाद सभा को माननीय प्रधानमंत्री जी ने संबोधित किया। माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा ‘आजादी का अमृतमहोत्सव‘ का ‘डिजिटल उद्घाटन’ किया गया। आज से 9 वर्ष पूर्व 12.03.1930 को प्रातः 6ः30 पर ‘दाण्डी यात्रा’ प्रारम्भ हुई थी। इसका मूल उदे्श्य जनमानस को स्वतंत्रता आन्दोलन से जोड़ना था।
इसी ‘दाण्डी यात्रा’ को पुनः जीवित करते हुए आजादी. 12 मार्च को माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। यह यात्रा ‘अभय घाट’ से दाण्डी तक लगभग 390 कि.मी. की यात्रा 81 पदयात्रियों द्वारा लगभग 25 दिवस में पूर्ण की जायेगी। इस अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्र का भविष्य ,अतीत के अनुभव व विरासत के गर्व से पल-पल जुड़ा रहता है। चेतनामय सांस्कृतिक विरासत का अमृत वर्तमान पीढी को प्राप्त होगा। हमें देष के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिले तथा हम दुःख, मृत्यु, विनाश, भय से मुक्त होकर अमृत की ओर बढे यही अमृत महोत्सव का प्रयोजन है। नमक, ईमानदारी, विश्वास, श्रम, समानता का प्रतीक है। इसलिए इस यात्रा में जन-जन का जुड़ाव है। इस यात्रा को पुर्नजीवित कर के हम सपनों का भारत बनाने का आज सामूहिक संकल्प ले रहे हंै।
इस अवसर पर ‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की 75वी वर्ष गांठ विषय पर एक आॅनलाइन संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ. सविता श्रीवास्तव द्वारा की गई। मुख्य वक्ता उत्तराखण्ड के शासकीय महाविद्यालय, पौढ़ी गढवाल के प्राचार्य, इतिहासकार डाॅ. संजय कुमार थे।
डाॅ. सुरेश मिश्र ने ‘आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर‘1857 की स्वतंत्रता क्रान्ति का महत्व’ विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि स्वतंत्रता आन्दोलन सही अर्थो में 1857 से पूर्व ही प्रारम्भ हो गया था। उन्होने अमर क्रांतिकारियों के स्वतंत्रता संघर्ष और बलिदान के विषय में विस्तार से चर्चा की। उन्होने अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को भी सम्मानित करने का विचार दिया।
इसके पश्चात डाॅ. संजय कुमार जी ने ‘दाण्डी यात्रा का स्वतंत्रता संग्राम के महत्व’ विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि यह एक पवित्र यात्रा थी, जिसकें अहिंसा और सत्याग्रह दो प्रमुख हथियार थे। नमक सत्याग्रह प्रतीकात्मक रूप से देश को जोड़ने का कारण बना, जिसने सामाजिक चेतना को जगाकर ब्रिटिश सत्ता के विरूद्व संघर्ष का शंखनाद किया।
संगोष्ठी का संचालन महाविद्यालय के अकादमिक सचिव डाॅ. संजय स्वर्णकार ने किया तथा आभार प्रदर्शन डाॅ. संतोष यादव ने किया।